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  • 2 days ago
Nishikant Dubey on Supreme Court: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पर दिए बयान से बवाल मचा है. सोमवार को दुबे के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अगले हफ्ते सुनवाई करेगा...वहीं निशिकांत के मामले में पूर्व लॉ सेक्रेटरी ने कहा की जजमेंट के कमेंट की भी एक सीमा होनी चाहिए


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~PR.338~HT.408~ED.104~GR.124~

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00:00इस देश में धार्मिक युद्ध भलकाने के लिए केवल और केवल सुप्रिम कोड जिम्मेबार है
00:10तो हमें ये बताएं क्या निशिकान दुडे को कारण बताओ नोटिस भारती जन्ता पाटी दे रही है
00:18क्या एक्शन लिया जा रहा है
00:20इस देश में जितने ग्रियूद हो रहे हैं उसके जिम्मेबार केवल यहां के चीफ जस्टिस अफिंट है संजीब खनना साथ
00:25तो ये जो कुछ कहा गया ये भारती जन्ता पाटी की अपनी सोच है
00:41सांसर दिशिकान दूबे को लेकर उनके स्टेटमेंट को लेकर देश में एक बहस चड़ी हुई है
00:46सत्ता पक्ष की अपनी दलील है इस बीच इस मामले को लेकर लीगली क्या होगा
00:52कानूनी रूप से क्या होगा निगाहें देश की उस पर भी है
00:54तो हमें लगा आज इस विशे पर इन सभी महत्रपोल बिंदूओं को लेकर
00:59एक्सपर्ट से बात करनी चाहिए जो सरकार की काम करने की तरीके को समझते हैं
01:03जो कानून को समझते हैं और किस तरह से इन मैटर्स को आगे लीगली परसू किया जाता है
01:09और देश पर न्याय पालिका और विधाईका के बीच एक fine balance की स्किती क्या होनी चाहिए
01:15इन सभी विशों पर बात करने के लिए आज पी के मलोतरा सर हमारे साथ जुग रहे है बातचीत में
01:20सर बहुत स्वागत है आपका आज इस बातचीत में
01:22आप former law secretary रह चुके हैं
01:39करते हुए सुनता है कि देश में supreme court की फैसलिक ग्रह युद्धी की स्थिती खड़ी कर सकते हैं मतलब यह statement
01:46पाकिस्तान जैसे देशों में दिये जाएं बांगलादेश जैसे देशों में दिये जाएं का लग बात है लेकिन भारत के लोकतंत्र की अपनी
01:53उपसूरती है जहां पर न्याय पालिका की अपनी जगा है विदायका की अपनी जगा है कारे पालिका की अपनी जगा है और सभी एक दूसरे पर
02:00check balance रखें समविधान में यह विवस्था की है तो सबसे पहले तो सर आप इस statement को किस नजर से देखते हैं
02:06मिनाक्षी जी बहुत ही महत्तुपून विशे आपने आज इसमें उठाया है और अगर मैं भारतिय सभीधान की बात करूँ
02:17तो मेरा ऐसा मानना है being a student of law जो law की practice कर रहा है आज और सरकार में भी काम करने का मुझे मौका मिला
02:27मैं समझता है एक बहुत ही balanced और बहुत ही अच्छा सभीधान हमें हमारे सभीधान निर्माताओं ने दिया है
02:35उस सभीधान के अंदर जो सरकार के तीन औरगन create किये गए है executive, legislature और judiciary उनका क्या-क्या कारिशेत्र होगा ये सभीधान निर्माताओं ने बहुत अच्छे तरीके से समझाया है
02:52और जब कि कानून बनाने की पावर जो है वो legislature के पास है उसको implement करने की पावर executive के पास है
03:01सिती तरह कानून को परिभाशित करना उसकी interpretation देना वो पावर judiciary के पास है
03:08लेकिन अगर कहीं कोई gap रह जाता है मान लिए legislature ने कानून नहीं बनाया
03:15तो discretionary power के अंदर हमारी judiciary के पास ये अधिकार है कि वो उस gap को fill कर सकती है
03:24उस gap को pund कर सकती है वो कानून बनाना नहीं माना जाएगा उसको सिरफ कानून को supplement करता है
03:32मैं समझते हूँ ये fine balance काफी शुरू के कई सालों तर पिलकू ठीक चला
03:37उसके बाद प्रवेबली जब एक organ सरकार का वो दूसरी organ के अंदर दखल देने लगा
03:46तो प्रवेबली इस तरह के समस्याएं हमारे सामने आनी शुरू हुई के
03:51मैं समझता हूँ इस तरह के situation को avoid किया जा सकता है
03:55और specially वो authorities जो public authorities है जिनकी बात को जनता face value पे लेती है
04:03जब वो कोई बात कहते हैं तो probably उसको सविधानित प्रवाधानों का
04:08और जो division of power है between the three organs of the government
04:13उसके बीच में समंझस से बना करके अपनी बात कहनी चाहिए
04:17अगर हम one-sided बात कहते हैं और किसी एक organ के बारे में बात करते हैं
04:23तो जनता में एक गलत message जाता है कि उस गलत message को avoid करने की जरुवत है
04:29Sir, कानूर के लिहास से भी अक्सर as a journalist भी
04:36जिस समय हम लोग supreme court, supreme court क्या, कोई दूसरी भी अदालत अगर है
04:40तो उन पर हमें भी बड़ी clear-cut direction होती है कि जिस समय आप बात कर रहे हैं
04:47तो आपके बोलने में court का अप्मान, judges का अप्मान, नयाए, प्रणाली का नयाए, विवस्था का नयाए, कि मंदिर का अप्मान जहलता नहीं जाहिए
04:56एक disclaimer में कहलूं या एक unset rule तो नहीं है, बड़ा clear-cut कहा जाता है
05:02तो हम भी बड़ा संभल कर बात करते हैं कि आप कौंसी बात कैसे कह रहे हैं, उसका एक meaning है जो जनता के वीच जाएगा
05:08और उसे उस तरह से कहा जाना चाहिए
05:10ऐसे में जब content of court की बात होती है, निशिकान दूबे ने जो कहा है, क्या वो content of court की दायरे में आता है, point one, point two
05:20अब जब ये supreme court में भी list हो गया है matter अपते के लिए इसको देखा जाएगा
05:24किस तरफ किस दिशा में जाते हुए आप देख रहे हैं सर इसकी इसको
05:27देखें जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि हर एक की अपनी अपनी सिमाएं हैं और सरकार के प्रतियेक अंकुछ है वो विदाई का हो, कारेपालिका हो या न्याइपालिका हो, अपने अपने दायरे में रहे कर काम करना है
05:40जज्मेंट को क्रिटिसाइज करना, जज्मेंट पे कॉमेंट देना, ये हमारे अधिकार का एक भाग है, एक हिस्सा है, कॉमेंट करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन उस कॉमेंट की भी अपनी एक सिमाएं होती, उस सिमा में रहके आप कॉमेंट करते हैं, तो उसको ए
06:10चीटा कशी करना चुरू करते हैं, तो प्रबलिक उसके उपर व्यवस्था जो होती है, वो कहीं ना कहीं चर्मराने के स्तिथि में आ जाती है, निशेकान दूबे जी ने जो बात कही है, वो कुछ ऐसे मैटर्स को लेके कह रहे हैं, जिनकी सुनवाई कोट द्वरा की गई और
06:40लेने की आवशक्ता नहीं है, अगर आपको कॉंटेंट के प्रडिशन फाइल करनी है, तो उसका काज़दादी कॉंटेंट और पोटेक्टिक प्रोसीजर है, आप उस प्रोसीजर को फालो करिए, और एट औरनी जनरल से एप्रूवल लेके आईए, एट औरनी जनरल उसका �
07:10एक मिसर आम लोगों के मन में एक सवाल ये भी है, कि क्या विश्वास के खाई एक ट्रस्ट डेपसिट यहां पर दिखाई दे रहा है विधाय का और न्याय पालिका के बीच, और दूसरी बड़ी बात ये भी है, लोग लगातार ये सवाल उठा रहे है, कि क्या सुप्रीम क
07:40किरन अचे को है कि वाख ब स्वाख बात लोग इलेए लाई जा जाया था संसद में, उसे पहले भी उन्या बाति ने दीजिए लिए भासा ये लेगा, कि अन्यालिकों कि अखाई आई दकल नहीं करेगा, क्योंकि उनको भी अन्दाजरा होगा, लोग भी इतने बड़े पद
08:10तो आरोब यह लग रहा है कि क्या ये सुप्रीम कोट और सुप्रीम कोट के जजिस के खिलाप एक माहौल बनाए जाने की साजिश है या मैं कहूंगी एक प्रयास है दीखे मैंने पहले भी कहा कि अगर आप जजमेंट के उपर कोई कॉमेंट करती है तो कॉमेंट करना और एक ह
08:40जो एक healthy practice नहीं है मेरा ऐसा मानना है कि अगर कोई सांसत या कोई मंत्री ऐसा समझता है कि जजमेंट में किसी तरह की कोई खामी है और उसको ले करके कोई कमी रह गई है और उसको ले करके वो उसका criticism करता है तो उसको एक healthy criticism के रूप में लेना चाहिए ना कि एड़वर्स ल
09:10कर रहे हैं तो यह हेल्थी क्रिटिशन को हमेशा हमें स्वागत करना चाहिए
09:15मैं इसको ट्रस्ट डेफिसित नहीं कहूंगा मैं यह कहूंगा कि
09:22एक और्गन के व्यक्ति जो है वो दूसरे और्गन की जब टेरेटरी में जाने
09:27की कोशिश करते हैं तो आपको ऐसा एक मैसेज जाता है पबलिकों की
09:30ट्रस्ट डेफिसित हो रहा है पर ऐसे बात नहीं है मैं नहीं समझता कि
09:34यह ट्रस्ट डेफिसित की बाग है जैसा कि आप इसको कह रहे हैं लेकिन हाँ
09:38कुछ सिमाओं का उलंगन अवश्य हुआ हरे किसी से हुआ जैसे जुडिशियरी ने भी कुछ इस तरह के आदेश दिये
09:44जिसको लेकर के शायद दूसरे और्गन को क्रिडिसिजम करने का मौका मिला जैसे चेफ इलेक्शन कमिशनर्स की
09:51के बारे में उन्होंने कमेटी बना दी सुप्रेम कोर्ट ने कमेटी बना दी एक्सराइज ओफ इस पावर अंडर आर्टिकल 142 अब ज़कुशन उस पे बहुत डिबेट हुआ
10:00इस तरह का कोई प्रवाधान नहीं है या इस तरह की समय सीमा को लगाना तै करना सुप्रेम कोट के लिए उचित था या एक वो डिरेक्शन दे देते कि इसके उपर
10:21एक्जेकुटिव और लेजिसलेचर विचार करके कानून ले करके आए इसके उपर इस तरह का आदेश देना ज्यादा बेतर होता तो जब एक औरगन गौर्मेंट का जो है एक अंग जो है सरकार का वो अपनी सिमाए लांगने की पोचिश करता है तो दूसरे एंग को उसके
10:51अच पब्लिक है वटemia कि बात कर रहे हैं क्यों आप कई लगने के जा सकती
11:21बारे में वो संसद में बात करते हैं और उसके उपर कारवाई अगर होगी भी तो संसद द्वारा ही उसके उपर कारवाई की जाएगी लेकिन संसद के बाहर जो वो बात करते हैं उनको भी उनी मर्यादाओं का पालन करना है जो किसी दूसरे नागरिक ने करना होता है तो उनक
11:51मिडिया के सामने रखना चाहिए विचार रखने में कोई वो नहीं है लेकिन विचारों की जो
12:21जिन्होंने सुसाइड कमिट किया था अपनी उनकी वाइफ की साथ डाइवोस केस चल रहा उसको लेकर जोने लीगल सिस्टम पर सवाल खड़े किये थे लोर कोड की जजिस किस तरह से डिबांड करते हैं और क्या-क्या उनकी शब्डावली रही उन्होंने लंबी चौडी चि
12:51जिसके बाद हम यह कह सकते हैं कि इन परिस्टियों को सुदारने की दिशा में यह जरूरी डिबेट है यह जरूरी डिस्कोर्स है और इसके बाद यह क्रेक्टिव मैजर्स लिए जाने की जरूरा थैं
13:01मिनाक्षी जी जुडीशल रिफॉर्म जो है इस इस एन ओन गोइंग प्रोसेस अगर आप 1950 की स्थिति देखें और आज की स्थिति देखें तो जुडीशल रिफॉर्म से बहुत सारे काम किये गए हैं लेकिन उसका बेनिफिट अभी तक एक आम आतमे को सधारन नागरिक को
13:31इस डिलीविरी में डिले कैन बी वन अफ दा रीजन पॉर बात और जहां तक आपने कैश मिलने की बात की और उसके उपर इंक्वाई की बात की मैटर अभी इन्वेस्टिगेशन में है उस पर्टिकुलर मैटर के बारे में मैं कॉमेंट नहीं करना चाओंगा लेकिन अगर �
14:01जुरत है क्योंकि सरकार के पास impeachment के अलावा और कोई रास्ता in between पीच का कोई रास्ता नहीं है और impeachment इतना कठिल प्रोसेस है कि उसको follow करके आज तक हमारे देश्मी एक भी जज़ का impeachment नहीं हो पाया है जबकि inquiry स्टार्ट होई नहीं हो पाया तो मैं समझता हूँ कि एक ऐसी stage
14:31and accountability bill जो पहले भी लाने का प्रयास किया गया था उसको
14:36introduce करके एक कानून बनाना चाहिए जो internal mechanism उसको
14:41strengthen करना चाहिए but without compromising with the independence of the
14:46judiciary क्योंकि जब ये कानून बनेगा उस कानून के अंदर जो
14:49power देनी चाहिए तवारिक और investigation की वो judiciary के
14:53पास ही रेलिल चाहिए लेकिन कानून बनाने का अधिकार
14:56परलीमेंट के हर परलीमेंट जो है वो जुडिश्य स्टेंडर्ड एन
14:59accountability bill भुला करके एक नया कानून पास करें दाकि
15:03impeachment से मीचे के जो कारवाई है वो ऐसे जज़िस के उपर की
15:07जा सके जिनको प्राइमा फिसाइज जिसका पंड़ इन्वेस्टिगेशन में आ जाता है जी आकरी सवाल और यह सवाल इसलिए
15:15कि आप former law secretary रह चुके हैं बलकि इस देश की जिम्बदार नागरिक एक पड़े लिखे इंसान और उच्छी पदों पर जिन्होंने सर्व किया है उनसे मेरा यह सवाल है सबार बार हम देखते हैं
15:26प्लिटिकल डिस्कोर्स पर यह बात आती है कि सम्विधान खत्रे में है सम्विधान का खत्रे में आना क्या इतना आसान है जितना आसान प्लिटिकल स्टेट्मेंट देना है
15:37I think आपके प्रश्ण में ही आपका जवाब है
15:41Political statement देना बहुत आसान है
15:44लेकिन सविधान के उलंगन करना उतना आसान नहीं है
15:47क्योंकि हमारी कारे प्रणाली जो बनाई गई है सविधान के अंदर
15:51We the people of India हम लोगों ने Constitution Assembly के तुरू
15:56जो Constitution adopt किया है
15:58अरेक के लिए सीमाएं तै कर दी हैं कि Executive कारेपाली का
16:03विधाय का और न्याएपाली का किस किस शेत्र में किस प्रकार से कारे करेगी
16:08अगर कोई बीच में गैप रह जाता है तो उसको फिल कैसे किये जाएगा
16:12उसके सिस्टम भी हमारे सविधान में उस चीज के भी प्रवादा दिये गए है
16:16जब उन सिमाओं का उलंगन होता है और जैसा कि अक्सर कहा जाता है
16:20जब एक कारेपाल जब कोई particular अंग गॉर्मेंट एक और गॉर्मेंट का
16:25अपनी उस सिमा को अपनी उस लक्षमान दिका को लांग कर दूसरे के territory में जाने का प्रयास करता है
16:32तब हम बात करते हैं कि सविधान खत्रे में है अगर हर और गॉर्मेंट का अपनी अपनी सिमा में रहकर करे करेगा
16:42तो सविधान खत्रे में है या चाहिद ये statement बोलने का मौका ना राजनितिग्यों को मिलेगा ना जजजिस को मिलेगा और ना आम जनता को मिलेगा
16:51क्या बाते मुझे रखता है इसी नोट पर सर मैं फिर इस बाचित को विरांग दूंगी थांक्यू सो मच हमारता जूडने के लिए और मुझे लगता है बावा साब बीम्राव मेटकर्ण इस देश को जो संविधान दिया है वो इस संविधान की शक्ती है उसके पीछे वो �
17:21के माधियम से अपने दश्कों को एक बात और मैं बताना चाहूंगा हमारा संविधान जो है वो एक लिविंग डॉकुमेंट है अब तक हम तोशल और एकनॉमिक डविलप्मेंट के लिए उस संविधान के एक सो चे बार अमेंड कर चुके हैं इसे हम इसको लिविंग डॉक
17:51और उसमें कोई कमी पेशी रह जाती है तो वो जुडिशियल जुडिशियरी के सामने चैलेंज भी होते हैं और ऐसे इस्टांसिस पास में हुए हैं चहां कुछ अमेंड्मेंट्स को कोट ने स्ट्रैक डाउन भी किया है तो इस लिविंग डॉकुमेंट के हूतों में मैं सम
18:21प्रुदेश का सिस्टम बेहतर तरीके से पहले भी चलता है आज भी चलेगा थैंक यू सो मच पर सर पो गिविंग ताइम तो अस अपने वारूबल थॉट्स समार सच शेयर करने के विए बहुत हुआ था था था था था था था था था था

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