CJI Khanna on Waqf Law: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 5 मई को वक्फ कानून (Waqf Law) पर अगली सुनवाई होने वाली है. इससे पहले एक चर्चा तेज है कि कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) जो कि मुस्लिम पक्ष (Muslim Petitioners) के वकील घोषित किए जा चुके हैं. वो वक्फ कानून का केस (Waqf Law Case) सुप्रीम कोर्ट में नहीं लड़ पाएंगे. इसके लिए उनकी सांसदी (PM Kapil Sibal) और उसके एवज में उठाये जा रहे वेतन का हवाला दिया गया है. तो क्या वाकई नियमों में ऐसा ही है. अगर हां, तो ये क्लियर हो जाएगा कि वो केस नहीं लड़ पाएंगे. अगर नहीं तो वो केस लड़ेंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये बात उठी क्यों, और इसके लिए कानून (What is the Law) में क्या कहा गया है. चलिए जानते हैं.
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~PR.87~HT.408~GR.121~ED.105~
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00:00तो क्या वक्त का केस नहीं लड़ेंगे सिब्बल?
00:04वक्त केस को लेकर क्या सिब्बल पर लड़की तलबार?
00:08क्यों है चर्चा तेज? क्या कहता है कानून?
00:20वक्त कानून पर पुरिदेश की नज़र ठीकी है
00:22सुप्रीम कोर्ट में 16 और 17 अप्रेल को इस पर सुनवाई हुई
00:26जिसके बाद अब 5 मई को सुनवाई होगी
00:29जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसियेशन के अध्यक्ष
00:32राजुसभासांसत कपिल सिब्बल ने मुसलिम पक्ष की तरफ से दली लें दी
00:36अब मुसलिम पक्ष ने सिब्बल को अपना लॉयर निप भी कर लिया है
00:39लेकिन चर्चा इस बात को लेकर तेज है कि कपिल सिब्बल बख कानून का सुप्रीम कोर्ट में जिरहन नहीं कर सकते
00:45सोशल मीडिया पर दे दना दन मैसिज फैलते जा रही है
00:49कि कपिल सिब्बल इस केस के लिए कानूनी तरीके से अधिकारी है ही नहीं
00:54तो क्या वाकई में इन चर्चाओं में कुछ दम है या यूँ ही हवा हवाईया चल रही है
00:59सोशल मीडिया पर दलील दी जा रही है कि एक सांसर जो बेतन उठाता है
01:03वो सरकार के खिलाफ केस नहीं लड़ सकता है
01:06तो क्या वाकई इस बात में दम है इसके लिए हमें Indian Advocate Act 1961 के प्रापधानों को जानना होगा
01:14जिससे ये साफ हो जाएगा कि कपिल सिर्बल वाकई में वक्फ कानून पर कैंदर सरकार के सामने केस नहीं लड़ सकेंगे
01:20या फिर सारी बातें महज अफ़वा के रूप में चल रही है
01:24या फिर कानून की कम जानकारी की वजह से
01:27चलिए सबसे पहले जानते हैं कि क्या है Indian Advocate Act
01:31Indian Advocate Act 1961 यानि भारतिय अधिवक्ता अधिनियम 1961 एक सेंट्रल लौ है
01:38ये लौ भारत के नियायालियों में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के लिए गाइडलाइन जारी करता है
01:44और इसी के नियमों के तहट वकील बकालत करते हैं
01:47इस एक्ट के तहट वकीलों के registration, character, नैतिक्ता और Bar Council of India के साथ साथ
01:54राजय बार काउंसलों को क्या क्या करना है और क्या क्या नहीं करना है उसके नियम बताता है
01:59कुल मिलाकर Indian Advocate Act 1961 का उदेश्य ये है कि वो बकालत के पेशे को मानकों को बनाए रखे हैं
02:07साथी साथ कानूनी पेशे की आजादी को भी कायम रखे
02:10चली अब जानते हैं इसके क्या-क्या प्राबधान है
02:13वकीलों का रेजिस्ट्रेशन
02:16आँ केबल वो लोगई वकालत कर सकते हैं जो कैसी राजेय बार-कांसील में रजिस्ट्रड हैं
02:22बार-कांसिल अफ इंडिया वकीलों के पेशे को चन्ट्रोल करने वाली शिर्श संसता है
02:27ये वकीलों के लिए नियम बनाती है और नयतिगता की मानकों को लागो करती है
02:33वकीलों के अधिकार और काम
02:35कोट में वकीलों को प्रैक्टिस करने का अधिकार देता है
02:38वकीलों के आचरण को बार काउंसिल के नियमों के अनुकूल रखने के लिए वाध्य करता है
02:43अनुशाशनात्मक कारवाई
02:45वकीलों के अनेतिक आचरण पर बार काउंसिल उनके खिलाफ कारवाई कर सकती है, लाइसेंस तक रद हो सकता है
02:52चलिए अब ये जानते हैं कि वो कौन सी परिस्थितिया हैं जिनके आधार पर वकीलों को कोर्ट में केस लड़ने की मना ही होती है
02:59इस एक्ट के मताबिक पूर्ण कालिक सरकारी नौकरी या बेतन भोगी रोजगार करने वाला व्यक्ति वकालत नहीं कर सकता
03:05अब जहां तक सांसदों, विधायकों और निर्वाचित जन्प्रतिनीधियों की बात है जिसको लेकर कापिलसिवल के बारे में चर्चा है
03:12वो सरकार के खिलाफ केस लड़ सकते हैं कि नहीं इसके लिए एक्ट में लिखा गया है कि चुंकि सांसदों, विधायक और निर्वाचित जन्प्रतिनी थी पूर्ण कालिक सरकारी करमचारी नहीं माने जाते हैं साथी वो पूर्ण रूप से बेतन भोगी भी नहीं माने जा
03:42नहीं लड़ सकते हैं क्योंकि उनको सरकार के तरप से पूर्ण बेतन भी मिलता है और सरकार के पूर्ण कालिक करमचारी भी माने जाते हैं बरहाल कपिल सिब्बल एक राज्यो सभासांसद है और इंडियन एड़ोकेट एक्ट 1961 के तहट वो केंदर सरकार के ना तो पूर्ण
04:12तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें इस खबर में बस इतना ही पाके अपडेट्स के लिए जुड़े रहें One India हिंदी के साथ धन्यवाद