Jagdeep Dhankhar on Supreme Court: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने कुछ ऐसी टिप्पणियां की हैं, जो भारत की संवैधानिक स्थिति (Constitutional Situation) को लेकर एक नई बहस को जन्म दे रही हैं. उनके मुताबिक भारत की न्यायपालिका (Indian Judiciary), खासकर के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अब मात्र न्याय करने तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि उसने अपने को ‘सुपर पार्लियामेंट’ (Super Parliament) की भूमिका में स्थापित करने की कोशिश की है. धनखड़ के इस बयान ने सियासी गलियारों में ही नहीं, देश के आम लोगों में भी हलचल मचा दी है. जिसमें कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) भी कूद पड़े हैं. उन्होंने उपराष्ट्रपति को ना केवल गलत ठहराया है बल्कि संविधान का पाठ भी पढ़ा दिया है.
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~PR.87~ED.110~GR.344~HT.96~
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00:00वाइस प्रेसिडेंट जगदीव धन्खड का नियाय पालिका पर सवाल
00:04आर्टिकल 142 को कहा नियूकलियर मिसाइल
00:09वाइस प्रेसिडेंट को सिब्बल का करारा जवाब
00:13कपिल सिब्बल ने पढ़ाया सम्विदान का पूरा पाठ
00:17आज सुबह कई अखबारों में जब मैंने धनकर साप का जो वक्तवे था जो स्पीच थी वो पढ़ा
00:28तो मुझे दुख भी हुआ और आश्चर भी हुआ क्योंकि जुटिशन इंस्टिशन चाहे वो सुप्रीम कोट हो चाहे वो हाई कोट्स सारे देश में हो
00:46उनके उपर आज के दिन भी किसी संस्था पर विश्वास है तो जुटिशनी करें और मुझे ऐसा लगता है कि जब
00:58कुछ सरकार के लोगों को जुटिशनी के निर्ने पसंद नहीं आते तो फिर वो आरोप लगाना शुरू कर देते हैं
01:09कि ये हद से बाहर है और जब उनको पसंद आते हैं तो फिर विपक्ष्टों कहते हैं ये तो सुप्रीम कोट ने फैसला किया था
01:21कोई सवाल उठाए तीन सो सतर पे तो ये तो सुप्रीम कोट का फैसला था राम जनर्बुवी की जज्जमेंट पे सवाल आए तो ये तो सुप्रीम कोट का फैसला था ये तो सुप्रीम कोट का फैसला था और अगर हाली में जस्टिस पार्देवाला की जज्जमेंट आई �
01:51और एक constitutional functionary को ऐसी बात कहनी मैं समझता हूँ उचित नहीं है मैं उनका बड़ा आदर करता हूँ
02:01लेकिन आपने कह दिया कि article 142 is nuclear nuclear fissile material
02:09nuclear missile यह कैसे कह सकते हैं आपको मालुम है कि article 142 के द्वारा Supreme Court को संविधान ने यह हट दिया है
02:22यह कुछी सरकार ने हट नहीं दिया संविधान ने हट दिया है
02:28तो डू कम्प्री जस्टिस पहरी बात यह दूसरी बात और यह मैं देश की जंता को बताना चाहता हूँ
02:39कि प्रेजिदेंट अब इंडिया इज टाइटिलर हेड जब प्रेजिदेंट अपनी फंक्शन्स करता है करती हैं या करती हैं
02:56वो कैबिनेट की अड्वाइस के अनुसार करते हैं
03:00कि अगर कोई रहक पारित होता है तो गवर्णर के पास जाता है
03:20गवर्णर संविदान ने हट दिया है गवर्णर कॉमेंट्स करके वापस बेज सकता है विजएक को और अगर दुबारा पास कर दे डेजिस्लेचर असेंब्ली पास कर दे तो गवर्णर को साइन करना पड़ता है यह संविदान कहती है
03:36गवर्णर यह भी कर सकता है कि कोई विदायक हो वो प्रेजिदेंट को भेज दे अपने कॉमेंट्स के साथ कि मुझे यह सही नहीं लगता
03:46और प्रेजिदेंट अपने व्यक्तिगत अनुसार कुछ नहीं करती प्रेजिदेंट एक्स ऑन दी एड़न एडवाइस अदर कांसलों मिनिस्टर्स वह बात सरकार केंदर सरकार केंदर सरकार केंदर कांसलों मिनिस्टर्स पर जाती है
04:01वो एड्वाइस करते हैं प्रेजिडेंट को क्यों क्या हो करना है यह प्रेजिडेंट ने का को वक्तिगत हक नहीं है यह धनकर जी को मालूब होना चाहिए उन्हें ने का का आप प्रेजिडेंट की पार को कैसे कंट्रेंग कर सकती हो पर कौन कर रहा है प्रेजिडेंट की पा
04:31कि प्रती किई चीजें करनी हो तो गवर्णर क्या बैठ सकता है दो साल बैठ सकता है उस मामले में और कोड को कोई हर अधिकार नहीं है कुछ करने का
04:44इस इन फैक इन इंक्रूजन अंड़ सुप्रेमिसी अफ लेजिस्ट्रेचर इस उल्टी बात है
04:53कार्लिमेंट अगर बिल पास करें क्या प्रेजिडेंट उसमें बैठ सकते हैं कि मैं साइन नहीं करेंगे
05:04और अगर साइन नहीं करें तो किसी को अधिकार है के नहीं कि भाया यह ऐसा एहम बिल है कोई प्रेजिडेंट पर बिल पास हो या किसी और चीज़ पर बिल पास हो
05:16प्रेजिडेंट ये तो नहीं कह सकते हैं, मैं साइन नहीं करते हैं, हाँ, कॉमेंट्स लेकर वापिस बेश सकते हैं, दुबारा पास हो, प्रेजिडेंट हैं, ये तो सम्विधान की परंपरा है, ये अदालतों ने डिसाइड कर लिया है, औरेडी.